भारत सरकार
ऐसा पहली बार हुआ है, शहरी विकास मंत्रालय कार्यक्रम में निधियन के लिए शहरों के चयन करने के लिए ‘चुनौती’ अथवा प्रतिस्पर्धा विधि का उपयोग कर रहा है और क्षेत्र-आधारित विकास की कार्यनीति का उपयोग कर रहा है। यह 'प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद' के भाव को दर्शाता है।
राज्य और शहरी स्थानीय निकाय स्मार्ट शहरों के विकास में महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाएंगे। इस स्तर पर स्मार्ट नेतृत्व एवं दूरदृष्टि और निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता महत्वपूर्ण कारक होंगे जो मिशन की सफलता निर्धारित करेंगे।
नीति निर्माताओं, कार्यान्वयनकर्ताओं एवं अन्य हितधारकों द्वारा विभिन्न स्तरों पर पुन: संयोजन, पुनर्विकास और हरित-क्षेत्र के विकास की अवधारणाओं को समझने के लिए क्षमता सहायता अपेक्षित होगी।
चुनौतियों में भागीदारी से पूर्व नियोजन चरण के दौरान समय और संसाधनों में प्रमुख निवेश करने होंगे। यह परंपरागत डीपीआर- संचालित से भिन्न है।
स्मार्ट सिटी मिशन के लिए स्मार्ट लोग अपेक्षित हैं जो प्रशासन और सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लें। नागरिकों की भागीदारी शासन में एक औपचारिक भागीदारी से कहीं बढ़कर है। स्मार्ट लोग स्मार्ट शहर के विकास क्रमों को स्थिर बनाने के लिए कार्यान्वयन एवं परियोजना-उपरांत संरचनाओं के दौरान स्मार्ट सिटी की परिभाषा, स्मार्ट समाधानों के उपयोग करने संबंधी निर्णयों, सुधारों को लागू करने, कम संसाधनों से अधिक काम लेने और पर्यवेक्षण में स्वयं शामिल होते हैं। आईसीटी, विशेषकर मोबाईल-आधारित उपकरणों के अधिक उपयोग के जरिए एसपीवी द्वारा स्मार्ट लोगों की भागीदारी हो सकेगी।
पृष्ठ आखरी अपडेट : 07-02-2017