राष्ट्रीय स्तर
राष्ट्रीय स्तरीय निगरानी
राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी दो प्रकार की होगीः
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शीर्ष समिति
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राष्ट्रीय मिशन निदेशालय
शीर्ष समिति
शीर्ष समिति (एसी), जिसके अध्यक्ष सचिव, शहरी विकास मंत्रालय होंगे और जिसमें संबंधित मंत्रालयों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, स्मार्ट सिटी मिशन के लिए प्रस्ताव को मंजूरी देगी, उनकी प्रगति की निगरानी करेगी एवं निधियां जारी करेगी। इस शीर्ष समिति में निम्नलिखित सांकेतिक सदस्य होंगे:
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सचिव, आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय सदस्य
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सचिव (व्यय) सदस्य
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संयुक्त सचिव, वित्त, शहरी विकास मंत्रालय सदस्य
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निदेशक, एनआईयूए सदस्य
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मुख्य नियोजक, नगर एवं ग्राम नियोजन सदस्य
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राज्यों के प्रमुख सचिव सदस्य
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एसपीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सदस्य
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मिशन निदेशक सदस्य सचिव
1.1 अध्यक्ष के अनुमोदन से संयुक्त राष्ट्र पर्यावास, विश्व बैंक, टेरी, सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवान्ड्य कंप्यूतटिंग (सी-डैक), सेंटर फॉर स्मार्ट सिटीज (सीएससी), बंगलौर या अन्य द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों और शहरी नियोजन विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जा सकता है।
1.2. शीर्ष समिति समग्र मार्गदर्शन प्रदान करेगा और मिशन के लिए परामर्शदात्री की भूमिका अदा करेगी। इसकी प्रमुख जिम्मेदारियां नीचे दी गई हैं:
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चरण 1 के बाद राज्यग सरकारों द्वारा भेजे गए शहरों के नामों की सूची की समीक्षा।
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चरण 2 के बाद विशेषज्ञों के पैनल द्वारा मूल्यांकित प्रस्तावों की समीक्षा।
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कार्यान्वयन में प्रगति के आधार पर निधियां जारी करने के लिए अनुमोदन।
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जैसे और जब भी अपेक्षित हो, कार्यान्वयन उपकरण में मध्य-मार्ग त्रुटिसुधार की अनुशंसा करना।
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बजट, कार्यान्वयन और अन्य मिशन/योजनाओं एवं विभिन्न मंत्रालयों की गतिविधियों के साथ समन्व य सहित योजना की गतिविधियों की तिमाही समीक्षा करना।
राष्ट्रीय मिशन निदेशालय
इसमें राष्ट्रीय मिशन निदेशक होगा जिसका पद भारत सरकार के संयुक्त सचिव के स्तर से कम नहीं होगा और जो मिशन की सभी संबंधित गतिविधियों का समग्र प्रभारी होगा। मिशन निदेशालय विषय विशेषज्ञों और ऐसे कर्मचारियों से सहायता लेगा जिन्हेंय आवश्य क समझे। मिशन निदेशालय की प्रमुख जिम्मेदारियां नीचे दी गई हैं:
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शहर की चुनौती के विस्तृदत डिजाईन सहित स्मार्ट सिटी मिशन की विस्तृत कार्यनीतिक रूपरेखा तैयार करना और कार्यान्वयन करना।
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यह सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र, राज्य, शहरी स्थानीय निकाय और बाहरी हितधारकों में समन्वयय करना कि एससीपी, डीपीआर तैयार करने, सर्वश्रेष्ठा विधियों को साझा करने, स्मामर्ट समाधान विकसित करने आदि के लिए बाह्य एजेंसियों का कुशल इस्तेमाल किया जा रहा है।
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क्षमता निर्माण की देखरेख करना और एसपीवी, राज्य और शहरी स्थानीय संगठनों की सहायता करना। इसमें सर्वश्रेष्ठक विधि निक्षेप (मॉडल आरएफपी दस्तावेज, ड्राफ्ट डीपीआर, वित्तीय मॉडल, भूमि मौद्रीकरण के विचार, एसपीवी के गठन में सर्वोत्तम विधियां, वित्तीय लेखों और जोखिम न्यूनीकरण तकनीकों का उपयोग) और राज्यों और शहरी स्थानीय संगठनों में ज्ञान साझा करने (प्रकाशनों, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों के माध्यम से) का तंत्र विकसित करना एवं इसे बनाए रखना है।