रणनीति
स्मार्ट सिटी मिशन में क्षेत्र-आधारित विकास के कार्यनीतिक घटक नगर सुधार (पुन: संयोजन), शहर का नवीकरण (पुनर्विकास) और शहर का विस्तार (हरित क्षेत्र का विकास) और पैन-सिटी की पहल है जिसमें शहर के बडे हिस्सों को कवर करते हुए स्मार्ट समाधानों का उपयोग किया जाता है। नीचे क्षेत्र-आधारित स्मार्ट सिटी के विकास के तीन मॉडलों के विवरण दिए गए हैं:
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पुनः संयोजन (रेट्रोफिटिंग) से मौजूदा क्षेत्र और अधिक कुशल और रहने योग्य बनाने के लिए अन्य उद्देश्यों के साथ-साथ स्मार्ट सिटी के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मौजूदा निर्मित क्षेत्र में नियोजन की शुरूआत होगी। पुनः संयोजन में, नागरिकों के साथ विचार-विमर्श करके शहर के समीपस्थ ऐसे क्षेत्र की पहचान की जाएगी जो 500 एकड़ से अधिक हो। पहचाने गए क्षेत्र में अवसंरचना सेवाओं के मौजूदा स्तर और निवासियों के विजन के आधार पर, शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए कार्यनीति बनाई जाएगी। चूंकि इस मॉडल में मौजूदा संरचनाओं को काफी हद तक वैसा ही बरकरार रखा जाएगा, उम्मीद है कि पुनः संयोजित स्मार्ट सिटी में अधिक गहन अवसंरचनागत सेवा स्तर और स्मार्ट एप्लीकेशन्स होंगी। इस कार्यनीति को अधिक छोटी समय-सीमा में भी पूरा किया जा सकता है, जिससे शहर के अन्य हिस्सों में इसकी नकल की जाएगी।
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पुनर्विकास से मौजूदा निर्मित पर्यावरण का प्रतिस्थापन प्रभाव पडेगा और मिश्रित भू-उपयोग एवं वर्धित घनत्व का उपयोग करते हुए संवर्धित अवसंरचना वाले नए विन्यास का सह-सृजन होगा। पुनर्विकास में नागरिकों के परामर्श से शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) द्वारा की पहचाने गए 50 एकड़ से अधिक क्षेत्र की परिकल्पना की गई है। उदाहरण के लिए, पहचाने गए क्षेत्र का मिश्रित भू-उपयोग, उच्चतर एफएसआई और उच्च भूमि कवरेज से नई विन्यास योजना बनाई जाएगी। पुनर्विकास मॉडल के दो उदाहरण राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम द्वारा निष्पादित किए जा रहे मुंबई में सैफी बुरहानी उत्थान परियोजना (जिसे भिंडी बाजार परियोजना भी कहा जाता है) और नई दिल्ली में पूर्व किदवई नगर का पुनर्विकास हैं।
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हरित क्षेत्र के विकास से किफायती हाऊसिंग, खासतौर पर गरीबों के लिए हाऊसिंग के प्रावधान सहित नव-प्रवर्तनकारी नियोजन, आयोजनागत वित्तपोषण और आयोजनागत कार्यान्वयन (उदाहरणार्थ भूमि की पूलिंग/भूमि पुनः निर्माण) के उपयोग से पूर्व में खाली पड़े क्षेत्र (250 एकड़ से अधिक) में अधिकांश स्मार्ट समाधान लागू होंगे। बढ़ती आबादी की जरूरतें पूरी करने के लिए शहरों के ईर्द-गिर्द हरित क्षेत्र विकसित करना अपेक्षित है। इसका एक जाना माना उदाहरण गुजरात में गिफ्ट सिटी है। पुनः संयोजन और पुनर्विकास से अलग, हरित क्षेत्र का विकास शहरी स्थानीय निकायों के दायरे के भीतर अथवा स्थानीय विकास प्राधिकरण (यूडीए) के दायरे के भीतर किया जा सकता है।
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पैन-सिटी के विकास के लिए पूरे शहर में मौजूदा अवसंरचना में चुनिंदा स्मार्ट समाधानों के प्रयोग की परिकल्पना है। स्मार्ट समाधानों के प्रयोग में अवसंरचना और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए तकनीक, सूचना और आंकडों का उपयोग शामिल होगा। उदाहरण के लिए, परिवहन क्षेत्र में स्मार्ट समाधानों (इंटेलीजेंट यातायात प्रबंधन प्रणाली) का उपयोग करने और औसत आवाजाही समयावधि अथवा नागरिकों द्वारा खर्च की जाने वाली कीमत में कमी करने का नागरिकों की उत्पादकता और उनके जीवन की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसका एक अन्य उदाहरण अपशिष्ट जल का पुनः चक्रण और स्मार्ट मीटरिंग हो सकता है जिससे शहर में बेहतर जल प्रबंधन में काफी अधिक योगदान हो सकता है।
उम्मीद है कि प्रत्येक चयनित शहर के स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव में पुनः संयोजन अथवा पुनर्विकास अथवा हरित क्षेत्र के विकास अथवा इनके मिश्रण और स्मार्ट समाधान (समाधानों) वाले पैन-सिटी की विशेषताएं शामिल होंगी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पैन-सिटी प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त विशेषता है। चूंकि स्मार्ट सिटी में छोटे क्षेत्र की अप्रोच अपनाई जा रही है, यह जरूरी है कि शहर के सभी निवासी यह महसूस करें कि इसमें उनके लिए कुछ न कुछ है। अतः स्कीम को समावेशी बनाने के लिए इसमें पूरे शहर के लिए कुछ (कम से कम एक) स्मार्ट समाधान की व्यवस्था की गई है।
पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए, विकसित किए जाने के लिए प्रस्तावित क्षेत्र वैकल्पिक मॉडलों- पुनः संयोजन, पुनर्विकास या हरित-क्षेत्र विकास में से किसी के लिए भी विनिर्धारित का आधा होगा।