भारत सरकार
विशेष प्रयोजन साधन (एसपीवी)
शहर स्तर पर मिशन का कार्यान्वयन, इस प्रयोजन के लिए सृजित विशेष प्रयोजन साधन (एसपीवी) द्वारा किया जाएगा। विशेष प्रयोजन साधन योजना बनाएगा, अनुमोदन करेगा, निधियां जारी करेगा, स्मार्ट सिटी विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन, निगरानी और मूल्यांकन करेगा। प्रत्येक स्मार्ट शहर के पास एक एसपीवी होगा जिसका अध्यक्ष कोई पूर्णकालिक सीईओ होगा और इसके बोर्ड में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और शहरी स्थानीय संगठनों के नामिती होंगे। राज्य/शहरी स्थानीय संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि (क) एसपीवी के लिए एक समर्पित और पर्याप्त राजस्व प्रवाह उपलब्ध है ताकि इसे आत्मनिर्भर बनाया जा सके और बाजार से अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए अपनी स्वयं की ऋण पात्रता विकसित हो सके और (ख) स्मार्ट शहर के लिए सरकार के योगदान का उपयोग केवल अवसंरचना के सृजनार्थ किया जाए जिसके परिणामस्वरूप जनता को लाभ हो। परियोजनाओं का निष्पादन संयुक्त उपक्रमों, सहायक कंपनियों, सरकारी-निजी भागीदारी (पीपीपी), तैयार अनुबंधों आदि के जरिए किया जा सकता है जो राजस्व प्रवाह से समुचित ढंग से जुडे हों।
एसपीवी शहर स्तर पर कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत शामिल लिमिटेड कंपनी होगी जिसमें राज्य/संघ राज्य क्षेत्र और यूएलबी प्रायोजक होंगे एवं इनकी इक्विटी शेयरधारिता 50:50 होगी। एसपीवी में हिस्सेदारी लेने के लिए निजी क्षेत्र या वित्तीय संस्थानों पर विचार किया जा सकता है बशर्ते राज्य/संघ राज्य क्षेत्र और यूएलबी का 50:50 शेयरधारिता पैटर्न बरकरार रखा जाए और एसपीवी की अधिकांश शेयरधारिता एवं नियंत्रण कुल मिलाकर राज्य/संघ राज्य क्षेत्र और यूएलबी के पास होगा।
एसपीवी को स्मार्ट सिटी मिशन में भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई निधियां आबद्ध अनुदान के रूप में होगी और इसे पृथक अनुदान निधि में रखा जाता है। इन निधियों का महज उन प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाएगा जिनके लिए अनुदान दिए गए हैं और यह शहरी विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित शर्तों के अध्यधीन होंगी।
राज्य सरकार और यूएलबी परियोजना के आकार, अपेक्षित वाणिज्यिक वित्तपोषण और वित्तपोषण की विधियों के अनुरूप एसपीवी की चुकता पूंजी की अपेक्षाओं का निर्धारण करेंगे। एसपीवी को इक्विटी आधार बनाने में सक्षम करने और इक्विटी पूंजी के अपने हिस्से का योगदान करने में सक्षम करने के लिए भारत सरकार के अनुदानों को दिशा-निर्देशों के अनुबंध-5 में दी गई शर्तों के अध्यधीन एसपीवी में इक्विटी पूंजी के यूएलबी हिस्से के रूप में उपयोग करने की अनुमति होगी। प्रारंभ में, एसपीवी के लिए न्यूनतम पूंजी आधार सुनिश्चित करने के लिए एसपीवी की चुकता पूंजी इतनी होनी चाहिए कि यूएलबी का हिस्सा कम से कम 100 करोड़ रूपए के बराबर हो और इसमें भारत सरकार द्वारा प्रदत्त निधियों की पहली किस्त की पूरी राशि (194 करोड़ रूपए) तक बढ़ोत्तरी करने का विकल्प हो। इस प्रकार राज्य/यूएलबी द्वारा इक्विटी योगदान के अनुसार, एसपीवी की प्रारंभिक चुकता पूंजी 200 करोड़ रूपए होगी (100 करोड़ रूपए भारत सरकार का योगदान और 100 करोड़ रूपए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का हिस्सा)। चूंकि भारत सरकार का प्रारंभिक अंशदान 194 करोड़ रूपए है, एसपीवी के विकल्प पर प्रारंभिक चुकता पूंजी 384 करोड़ रूपए तक जा सकती है। उल्लिखित प्रावधान से यह सुनिश्चित करते हुए चुकता पूंजी को परियोजना की आवश्यकताओं के अनुसार बाद के वर्षों में बढ़ाया जा सकता है कि यूएलबी, एसपीवी में राज्य/संघ राज्य प्रदेशों के बराबर अपनी शेयरधारिता रखने में सक्षम है।
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पृष्ठ आखरी अपडेट : 15-02-2017